Satyakatha : पति की कब्र पर बनाया शौचालय, एक सत्य कथा

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कलंक काजल से भी अधिक काला
ग्वालियर (MP)// Satyakatha  नीति शास्त्र में कलंक को काजल से भी अधिक काला और पाप को धरती से भी अधिक भारी बताया गया है ।
जो लोग यह बात सही नहीं मानते उनके लिए ग्वालियर की संतो गोस्वामी की यह कहानी आंखें खोल देने वाली हो सकती है.  नौपता का एक दिन और गर्म दिन बीत जाने पर पूरे ग्वालियर शहर ने राहत की सांस ली ।
ऐसे में ग्वालियर के    माधवनगर थाना   प्रभारी संजीव नयन शर्मा अपने केबिन में व्यस्त थे .  तभी लगभग 40 वर्षीय एक महिला ने उन्हें आकर जो बात बताई उसे सुनकर श्री शर्मा खासे आश्चर्य से भर उठे ।
दरअसल मामला ही कुछ ऐसा था । राय सिंह के बाग के सैलार की गोठ निवासी आगंतुक महिला संतो गोस्वामी कमलाराजा अस्पताल के सफाईकर्मी के पद पर काम करती थीं ।
संतो अपने 42 वर्षीय पति सुरेश गोस्वामी की हत्या करने के बाद खुद को कानून के हवाले करने  थाने आई थी । आश्चर्य की बात यह थी कि संतो ने यह हत्या आठ माह पहले की थी जिसकी किसी को जानकारी भी नहीं थी ।
वह खुद को कानून के हवाले करने आई
संतो का कहना था कि भले ही सुरेश की हत्या की जानकारी किसी ओर को नहीं थी, लेकिन पति की हत्या के पाप के बोझ से उसकी आत्मा कराह रही थी.  इसलिए वह खुद को कानून के हवाले करने आई थी ।
टीआई संजीव नयन शर्मा ने तत्काल मामले की जानकारी एएसपी दिनेश कौशल, नवागत ग्वालियर एसपी हरिनारायणचारी मिश्रा को दी . और खुद पुलिस बल के साथ संतो को लेकर घटना स्थल पर उसके घर पहुंच गए ।
क्योंकि संतो का कहना था कि अपने पति की हत्या के बाद उसने लाश को प्लास्टिक की टंकी में भरकर घर के अंदर ही दफन कर दिया था ।
लाश इसी शौचालय के नीचे दफन है!
संतो झूठ नहीं बोल रही थी । घर ले जाकर उसने कमरे में बने शौचालय की ओर इशा करके बताया कि लाश इसी शौचालय के नीचे दफन है ।
ऐसी स्थिति में पुलिस के सामने शौचालय की खुदाई करवाने के अलावा और कोई चारा नहीं था. सो मजदूरों को बुलाकर शौचालय तोड़कर उसके नीचे की जमीन की खुदाई करवाई गई .  तीन घंटे की मशक्कत के बाद पुलिस को सुरेश की
लाश से भरा ड्रम मिल गया
जिसके बाद टीआई संजीव नयन ने लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया ।
 आठ माह से लापता सुरेश की हत्या की बात जानकर उसके परिजनों में शोक की लहर दौड़ गई .
सबसे बुरा हाल उसी मकान में ऊपर की मंजिल पर रहने वाले सुरेश के बड़े भाई रमेश का था ।  उसे क्या पता कि जिस मकान में वह बीवी के साथ आराम की नींद सो रहा है , उसी में उसके भाई की लाश दफन है ।
सुरेश ट्रक ड्रायवर का काम करने चला
उसने बताया कि सुरेश की पत्नी संतो मेरी सगी साली भी है . सुरेश के बारे में पूछने के लिए मैंने उसके पैर तक पड़े . परंतु वह यही कहती रही कि कर्ज ज्यादा हो जाने के कारण सुरेश कहीं चला गया ।
इधर संतो से हुई पूछताछ में जो कहानी सामने आई वह इस प्रकार है ।
झांसी निवासी संतो की शादी 15 साल पहले  ट्रक ड्रायवर  सुरेश गोस्वामी से हुई थी। संतो सुरेश के बड़े भाई रमेश की पत्नी सुलेखा की सगी छोटी बहन थी . इस नाते सुरेश और संतो शादी के पहले से ही एक दूसरे से परिचित थे ।

 

सुहागरात में भी शराब पीकर आया
इसलिए संतो अपनी शादी को लेकर खासी उत्साहित थी.  लेकिन उसका सारा उत्साह पहली ही रात ठंडा पड़ गया . जब सुहागरात में भी शराब पीकर आया सुरेश मशीन की तरह अपनी वासना शांत करके गहरी नींद में सो गया ।
उसके बाद तो यह रोज का काम हो गया । सुरेश शराब पीकर आता और संतो के जिस्म पर अपना हक जमा कर खर्राटे भरने लगता ।
संतो से केवल उसे इतना ही मतलब था .    यह उसकी जवानी का जोश दिखाने का साधन थी । इसी बीच संतो गर्भवती हो गई . डाॅक्टर ने उससे पति से दूरी बनाकर रखने की हिदायत दी. लेकिन सुरेश उस रात भी अपने मन की करने से नहीं माना . जिस पर संतो ने पहली संतान के रूप में बेटे को जन्म दिया था ।
 शराब में उड़ाने लगा संतो की कमाई
 इसके दो साल बाद संतो ने एक बेटी को भी जन्म दिया . बाद में आर्थिक परेशानी को देखते हुए उसने कमला राजा अस्पताल में सफाईकर्मी की नौकरी कर ली ।
संतो कमाने लगी तो सुरेश अपनी ड्रायवर की नौकरी छोड़कर घर बैठ गया . यह संतो की कमाई शराब में उड़ाने लगा ।
संतो उसे ऐसा करने से रोकती तो सुरेश उसके साथ मारपीट करता । संतो को बचाने वाला कोई नहीं था .  बच्चे छोटे थे . उसी घर में रहने वाला जेठ रमेश खुद भी शराब पीकर अपनी पत्नी, के साथ मारपीट करता ।

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शराब खोरी की लत बढ़ती जा रही थी
धीरे-धीरे सुरेश की शराब खोरी की लत बढ़ती जा रही थी . उसी अनुपात में संतो की पिटाई और परेशानियां भी बढ़ रही थीं ।
वह सुरेश से इतनी तंग आ चुकी थी कि उसे कई बार चेता चुकी थी कि वो किसी दिन उसे कुत्ते की मौत मार देगी . उसकी बात को सुरेश खाली धमकी समझता था ।
सेक्स के मामले में हो गया बेशर्म
सेक्स के मामले में सुरेश बेहद बेशर्म (Lust-ridden) था। . वह 12 साल के बेटे और 10 साल की बेटी के सो जाने का भी इंतजार नहीं करता था ।
जबकि बच्चों के सामने संतो को ऐसा करना जहर पीने जैसा लगता था . इसलिए पति से तंग आकर संतो उससे छुटकारा पाने की सोचते लगी थी ।
मारपीट करने पर उतारू हो गया
संतों ने थाना प्रभारी को बताया कि उस रोज दोपहर में मैं काम पर जाने के लिए निकली . तब ही सुरेश शराब पीने के लिये पैसे मांगते हुए मारपीट करने पर उतारू हो गया ।
इस पर मैंने उससे कहा कि आज वेतन मिलेगा तो घर आकर पूरा वेतन उसे दे दूंगी ।
मैं समझ गई थी कि इसे मेरा शरीर चाहिए
जब मैं रात में काम से लौटी तो सुरेश बैठकर शराब पी रहा था । मुझे देखते ही उसने वेतन की मांग की, लेकिन उस दिन वेतन नहीं मिला था तो मैं उसे कहां से देती ।
जिसके बाद वह मुझसे मारपीट करने लगा । मैं समझ गई थी कि शराब पीने के बाद इसे मेरा शरीर चाहिए होगा . इसलिए शर्म से बचने मैंने दोनों बच्चों को जेठ के घर भेज दिया और खुद जमीन पर लेट गई ।

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थोड़ी देर बाद ज्यादा शराब पी लेने के कारण सुरेश बेसुध होकर पलंग पर लेट गया ।
मैं जानती थी कि आधी रात में नशा कम होने पर वह अपने मतलब से मेरे पास आएगा,
लेकिन उस दिन मेरे मन में उसके प्रति नफरत की आग सुलग रही थी तथा घर से बाहर कोई कार्यक्रम चल रहा था इसलिए उसका शोर मचा था ।
एक ही वार में वह हिचकी लेने लगा
मुझे लगा कि मौका अच्छा है इसलिए बिस्तर से उठकर मैंने कपड़े धोने की मोगरी उठाई और पूरी ताकत से सो रहे सुरेश के सिर पर दे मारी । एक ही वार में वह हिचकी लेने लगा .
लाश को सीढि़यों के नीचे सरका दिया
उसके बाद मैंने उसके सिर पर तब तक वार किए जब तक कि उसकी जान नहीं निकल गई ।
फिर जो साड़ी मैंने पहनी थी उसे उतार कर उसमें सुरेश की लाश को लपेटी और पानी के ड्रम में डालकर उसे सीढि़यों के नीचे सरका दिया,
लेकिन कुछ समय बाद उसकी पत्नी की आत्मा उसे कचोटने लगी और धीरे-धीरे सुरेश की हत्या का पाप उसके मन पर बोझ बनकर बैठ गया जिससे उबरने के लिस वह खुद चलकर पुलिस के पास आ गई ।
दस दिन बाद दफन की थी लाश 
संतो ने बताया कि हत्या के बाद सुरेश की लाश को पानी के ड्रम में रखकर उसने ड्रम का मुंह सीमेंट से बंद कर उसे सीढि़यों के नीचे खिसका दिया था ।
लगभग दस दिन बाद ड्रम से बदबू आने लगी तो संतो डर गई वह योजना बनाकर मजदूरों को लेकर आई और कमरे के अंदर शौचालय बनाने के नाम पर गड्ढा खुदवाया ।
शौचालय बनवा लिया
मजदूर गड्ढा खोदकर चले गये तो संतो ने ड्रम को खिसकवाकर गड्ढे में दफन कर दिया और ऊपर से कुछ मलवा डाल
दिया तथा दूसरे मजदूरों को लाकर उसके ऊपर शौचालय बनवा लिया और लोगों को बता दिया कि सुरेश कर्ज हो जाने के कारण बाहर जाकर काम करने लगे हैं ।                                                                                                                                                                                          लेखक  डॉ  देवेन्द्र साहू  

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