गर्मी के दिनों में सूरज की असहनीय तपन और पल-पल पर सूखता गला आम बात है। तमाम स्थानों पर राहगीरों या अन्य लोगों की प्यास बुझाने को रखे गए प्याऊ यानी पानी से भरे मिट्टी के घड़े गर्मी में अक्सर देखने को मिलते हैं। लेकिन सच तो यह है कि हम महज़ जरिया मात्र हैं, वरना तो यह पानी भी प्रकृति का है और ये मिट्टी के घड़े भी प्रकृति से मोल लेकर ही बनाए गए हैं।
ज़रा सोचिए, जब प्रकृति हमें हर दिन परोपकार का पाठ पढ़ाती है, तो हम किसी के लिए कुछ करने में इतना संकोच क्यों करते हैं। सही भी है, प्रकृति ने अपने शरीर का हर एक अंग यानी मिट्टी, पानी, जमीन, आसमान और यहाँ तक कि सब कुछ हम पर खुशी-खुशी न्योछावर कर दिया है, वह भी बदले में बिना किसी माँग की आस में। ऐसे में प्रकृति और इसके बच्चों के लिए हमारे भी कुछ फर्ज़ बनते हैं, जिनमें हम कुछ पिछड़ने से लगे हैं।
गर्मी का मौसम तो हर एक प्राणी के लिए एक जैसा ही होता है। जिनके सिर पर आसमान ही छत है और जमीन ही घर है, ऐसे बेजुबानों के लिए तो गर्मी का मौसम काफी तकलीफदेह होता है और कई बार प्यास के चलते मौत का कारण भी बन जाती है। जानवर या परिंदे ना तो प्यास लगने पर पानी माँग सकते हैं, और न ही भूख लगने पर खाना। उनकी इस बिन बोली आवाज़ को सुनने वाले चुनिंदा लोग वाकई में चुनिंदा ही हैं। स्वदेशी सोशल मीडिया मंच कू ऐप पर मशहूर सबसे उम्रदराज शूटर दादी प्रकाशी तोमर उन बेजुबान जानवरों और पक्षियों के लिए जीती-जागती मिसाल हैं, जो रोजाना उनके घर के बाहर वाले कुंड का पानी पीकर अपनी प्यास बुझाते हैं।
उत्तर प्रदेश की रहने वाली शूटर दादी ने घर के बाहर रखे पानी से भरे कुंड के साथ बहुत ही खूबसूरत फोटो शेयर करते हुए कहा है:
मेरे घर के बाहर इस कुंड में हमेशा पानी भरा रहता है ताकि गाय, बंदर, कुत्ते, पक्षी इसका पानी पी सके क्योंकि यह सब भी इतनी गर्मी में पानी ढूंढते रहते हैं!
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प्रकाशी तोमर हमेशा से ही लोगों और खासकर महिलाओं के लिए मिसाल रही हैं, लेकिन कम ही लोग आज से पहले इस बात को जानते होंगे कि वे जानवरों और पक्षियों के लिए भी मसीहा हैं। कुछ भी कहें, प्यासों को पानी पिलाकर वे बहुत ही पुण्य का काम कर रही हैं।