उज्जैन। आगामी 19 मई को ज्येष्ठ मास की अमावस्या है। इसी दिन शनि जयंती व वट सावित्री व्रत भी है। शनि जयंती पर शनि अपनी स्वराशि कुंभ में होंगे। इसके चलते शोभन योग व कृतिका नक्षत्र का संयोग भी बन रहा है। जो विभिन्न राशियों के लिए शुभ फलकारक होगा। इसके लिए शनि जयंती पर शनि की विशेष पूजन का महत्व है। इस दिन बन रहे विशेष संयोग में शनि आराधना करने पर शनि महादशा, साढ़े साती और ढैया में राहत मिलेगी।
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार,अमावस्या 18 मई गुरुवार रात 9.43 बजे से 19 मई रात 9.22 बजे तक रहेगी। उदया तिथि के अनुसार जयंती 19 मई को मनाई जाएगी। इस दिन भरणी नक्षत्र सुबह 7.29 और इसके बाद कृतिका नक्षत्र दिनभर रहेगा।
शनि जयंती पर शनिदेव प्रसन्न रहते हैं। इस दिन उन्हें काली उड़द का भोग लगाना चाहिए। उनका अभिषेक तिल और तेल से करना चाहिए। सुबह स्नान के बाद सरसों के तेल का दीपक जलाना हितकर होता है। इस दिन काला पहना और काले कपड़ों का दान करना चाहिए।
वट सावित्री व्रत भी इसी दिन,मिलेगा विशेष लाभ
अमावस्या यानी 19मई को ही वट सावित्री व्रत है। इसे विवाहित महिलाएं पति की दीर्घायु के लिए रखती हैं। मान्यता अनुसार इस दिन व्रती महिलाएं बरगद के पेड़ की पूजा करके इस व्रत का संकल्प लेती हैं।
दोहरे पावन पर्व यानी अमावस्या को ग्रहों के बेहद शुभ संयोग बन रहे हैं। माना जा रहा है इन शुभ संयोग के बीच वट सावित्री का व्रत करने और सच्चे मन से पूजा करने से व्रतियों को विशेष लाभ की प्राप्ति होगी और शुभ कार्य संपन्न होंगे।
शनिदेव का आशीर्वाद पाने अपनाएं ये उपाय
1.शनि जयंती के दिन 11 बाद दशरथ कृत शनि स्त्रोत का पाठ करें।
2.इस दिन भगवान शिव की पूजा का भी विशेष महत्व है। शिवलिंग पर बेलपत्र और शमी पत्र चढ़ाएं। अभिषेक के लिए उपयोग किए जा रहे जल में काले तिल भी अवश्य डाल लें। इसके साथ ही शिव पंचाक्षर स्त्रोत का पाठ करें।
3.पीपल के वृक्ष व शमी पौधे के समीप सरसों तेल का दीपक जलाएं। दीपक में काले तिल भी डालें।
4.शनि की प्रिय वस्तुएं जरूरतमंद लोगों को दान करें। इनमें काले जूते, उड़द की दाल, छाता और काले वस्त्र शामिल हैं। ऐसा करने से आपको शनि दोष से मिलने वाली परेशानियों में कमी आती है।
वट सावित्री व्रत पर बने हैं ये शुभ योग
वट सावित्री व्रत एवं शनि जयंती अर्थात 19 मई अमावस्या को सिद्धि योग का भी निर्माण हो रहा है। इस दिन शनि अपनी स्वराशि कुंभ में होंगे। इसके चलते शोभन योग व कृतिका नक्षत्र का संयोग भी बन रहा है।
इसके साथ ही चंद्रमा गुरु के साथ मेष राशि में होंगे तो गजकेसरी योग का शुभ फल भी लोगों को प्राप्त होगा। माना जा रहा है कि इन शुभ योग के बीच शनि जयंती और वट सावित्री व्रत की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी और महिलाओं को सदैव सौभाग्यवती रहने का आशीर्वाद प्राप्त होगा।
मिलता है सौभाग्यवती रहने का आशीर्वाद
वट सावित्री व्रत के दिन बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है। इसको लेकर यह मान्यता है कि इस पेड़ पर ब्रह्मा, विष्णु एवं महेश तीनों देवताओं का वास होता है। इसलिए व्रत सावित्री व्रत पर बरगद के पेड़ की पूजा करने से महिलाओं को तीनो देवताओं से सदैव सौभाग्यवती रहने का आशीर्वाद मिलता है।
इस दिन महिलाएं बरगद के वृक्ष के चारों तरफ परिक्रमा करके रक्षा सूत्र बांधती हैं। ऐसा करने से पति की आयु भी लंबी होती है और साथ ही संतान सुख प्राप्त होने की आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस व्रत की पूजा में भींगे हुए काले चने का विशेष महत्व होता है।