Shri Ramcharit Manas: सोने,चांदी व हीरे से तैयार एक ऐसी रामायण जिसके साल में सिर्फ 3 बार हो सकते हैं दर्शन

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सूरत। Shri Ramcharit Manas श्रीरामचरित मानस ​हिंदुओं का पवित्र ग्रंथ है। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के चरित्र एवं लीला पर आधारित इस पावन ग्रंथ और भगवान राम से प्रत्येक सनातन धर्म के व्यक्ति की आस्था जुड़ी हुई है। मूल रामायण महाकवि तुलसीदास द्वारा रचित है। कालांतर में इसी की अनेक प्रतिकृतियां भी लिखी गईं।

यहां हम आपको एक ऐसी रामायण की खूबी से अवगत कराने जा रहे हैं,जिसे 222 तोला सोने की स्याही से लिखा गया। इसे लिखने में हीरा,पन्ना,मणिक व चांदी का भी उपयोग हुआ। वर्ष मे सिर्फ तीन बार इसके दर्शन किए जा सकते हैं।

जी हां,इस अद्भुत कृति की रचना की है,सूरत भेस्तान गुजरात के श्रीराम भक्त रामभाई गोकर्णभाई (In photo) ने। उनके द्वारा लिखित यह रामायण 19 किलो वजनी और 530 पन्ने की है। इसमें उन्होंने 222 तोला सोने की स्याही का उपयोग किया।

इतना ही नहीं 10 किलो चांदी, चार हजार हीरा के साथ माणिक और पन्ना जैसे रत्नों को उपयोगमें लाया है। गौर करने वाली बात यह भी है कि किताब में जो जिल्द चढ़ाई गई है वो 5 किलो की चांदी की है। श्री गोकर्णभाई ने अपनी इस कृति को ‘श्रीराम पंचायतन ‘ नाम दिया।

5 करोड़ बार लिखा गया राम  नाम

गोकर्णभाई के परपोते गुरुवंत भाई ने यह जानकारी सार्वजनिक की। उन्होंने बताया कि यह दुनिया की पहली रामायण है जिसे लिखने में पूरी तरह से हीरे, माणिक, पन्ना और नीलम का उपयोग किया गया है। अगर इस किताब की कीमत को आंका जाए तो करोड़ों में आएगी।

‘श्रीराम पंचायतन’ के मुख्य पृष्ठ पर एक तोले चांदी की शिव प्रतिमा,आधा तोले की हनुमान प्रतिमा और आधे तोले की गणेश प्रतिमा उत्कीर्ण की गई है।

बताया जाता है कि राम भाई भक्त ने वर्ष 1981 में इसे विशेष पुष्य नक्षत्र में लिखा था। ‘श्रीराम पंचायतन’ कुल 9 महीने और 9 घंटे में लिखी गई, जिसे लिखने का काम 12 लोगों ने मिल कर किया। इसमें भगवान श्रीराम के नाम को 5 करोड़ बार लिखा गया है।

‘श्रीराम पंचायतन’ में हीरे का उपयोग अक्षरों को शाइनिंग देने के लिए किया गया है। इसी को प्रदर्शित करने के लिए सोने की स्याही से यह रामायण लिखी गई। इसके लिए कागज जर्मनी से मंगवाए गए थे। इस कागज की खासियत यह है कि इसे धोने के बाद इस पर दोबारा लिखा जा सकता है। कागज की सफेदी भी मनमोहक है।

दर्शन वर्ष में सिर्फ तीन बार

प्रत्येक रामनवमी यानी भगवान श्रीराम के जन्मोत्सव पर इस अदभुत कृति की पूजा की जाती है। भक्त इसके दर्शन साल में सिर्फ तीन बार गुरुपूर्णिमा, रामनवमी और दीपावली के दूसरे दिन एकम तिथि यानी गोवर्धन व अन्नकूट पूजन पर्व के दौरान ही कर सकते हैं।

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