दमोह। कहते हैं,लक्ष्मी को सहेजे रखना सबके बस की बात भी नहीं..। यूं भी लक्ष्मी को चंचला कहा गया है..इसके स्वरूप भिन्न हैं। इसके आने के प्रयोजन भी अलग-अलग..किसी के लिए यह क्लेश व जेल यात्रा कराने का माध्यम बनती है तो किसी का जीवन सुखमय बनाने का..वैसे संतोषी सदा सुखी..दमोह के एक मजदूर ने भी ऐसे ही संतोष का परिचय दिया और अपनी रातों की नींद को उड़ने से बचा लिया..
दरअसल,नगर में बड़ापुरा निवासी मजदूर हल्ले पिता गोविंद प्रसाद अहिरवार (26) असाटी वार्ड निवासी मीनाक्षी उपाध्याय के निर्माणाधीन मकान के पिलर के लिए गडडे खोदने का काम कर रहा था। एक गड्डा खोदते हुए वह जब कुछ गहराई पर पहुंचा तो उसे कुछ चमकदार सिक्के दिखाई दिए। हल्ले ने और हाथ चलाए तो कुछ और सिक्के मिले..यह देख हल्ले की उत्सुकता बढ गई..उसने खुदाई के लिए एक दो बार संबल और चलाया ही था कि चांदी के सिक्को से भरा एक कलश दिखा। रातों की नींद उड़ गई
हल्ले ने कलश निकालकर इसे वहीं कचरे और मिट्टी से ढक दिया..शाम को अंधेरा गहराने पर वह गुपचुप तरीके से कलश और बाकी सिक्के लेकर अपने घर पहुंचा। कभी वह सिक्कों को निहारता तो कभी अपने भाग्य व भविष्य को लेकर चिंतन करता..न रात के भोजन पानी की सुध,न आंखों में नींद..अपनी खुशी को किसी से वह साझा भी नहीं कर पा रहा था..सिक्कों का क्या करे,असली हैं या नकली,गिलट के हैं या चांदी के..
किसी को पता चल और बात पुलिस तक पहुंची,तब क्या होगा..साथ ही यह आत्मग्लानि भी कि इस धन पर तो उसका हक नहीं..यह दफीना कहीं मुसीबत न बन जाए..इसी उधेडबुन में रात कब गुजर गई,पता ही नहीं चला..हल्ले ने अंतत: तय किया कि वह ये सिक्के पुलिस को सौंप देगा..फिर पुलिस जाने व उसका काम..।
अपने अंतिम निर्णय पर अमल करते हुए हल्ले ने सुबह कोतवाली थाने पहुंचकर टीआई विजय राजपूत की मेज पर सिक्कों से भरा झोला रख दिया…और एक सांस में पूरा किस्सा बयां कर डाला…
राजपूत भी उसेहैरत भरी निगाह से देखते रहे…।
बहरहाल,दरोगा को आवाज लगाई गई और फिर शुरू हुई सिक्कों की गिनती..दस.बीस नहीं पूरे 240 ब्रिटिशकालीन सिक्के..कुछ ही देर में एक जौहरी भी थाने पहुंचा..उसने सिक्कों को परख कर बताया..असली चांदी के हैं..वजन कोई एक.डेढ किग्रा.।
पुलिस ने जिला मुख्यालय स्थित रानी दमयंती संग्रहालय के डॉ. सुरेंद्र चौरसिया को भी इसकी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यह वे चांदी के सिक्के हैं और ब्रिटिशकालीन हैं। बहरहाल,पुलिस ने सिक्कों को अपने सुपुर्दनामे में ले लिया है..और आगे की कार्रवाई के लिए जिला प्रशासन को इसकी सूचना भी दी गई।
मकान मालिक हतप्रभ
इधर,मकान मालिक मीनाक्षी उपाध्याय इस पूरे घटनाक्रम से हतप्रभ हैं। मीडिया से चर्चा में उन्होंने कहा कि पता ही नहीं चला कब सिक्के मिले और मजदूर कब इन्हें लेकर चला गया है। दूसरे दिन वह काम पर नहीं आया। बाद में सोशल मीडिया से पता चला कि उनके घर में खुदाई के दौरान चांदी के सिक्के मिले हैं।